सशस्त्र सेना झंडा दिवस 2025: महत्व, इतिहास, शुरुआत और आज की प्रासंगिकता
भारत में हर वर्ष 7 दिसंबर को सशस्त्र सेना झंडा दिवस मनाया जाता है। यह दिन हमारे उन सैनिकों को समर्पित है जो सीमाओं पर देश की सुरक्षा के लिए अपना जीवन जोखिम में डालते हैं। इस दिवस का उद्देश्य केवल सम्मान प्रकट करना ही नहीं, बल्कि सैनिकों, पूर्व सैनिकों, शहीदों के परिवारों और वीर नारियों के कल्याण के लिए धन एकत्र करना भी है। वर्ष 2025 में भी यह दिन पूरे देश में विभिन्न कार्यक्रमों, जागरूकता अभियानों और योगदान गतिविधियों के साथ मनाया जाएगा।
⭐ सशस्त्र सेना झंडा दिवस की शुरुआत कब और कैसे हुई?
इस दिवस का इतिहास बहुत रोचक है और भारतीय रक्षा तंत्र की सामाजिक ज़िम्मेदारियों से जुड़ा हुआ है।
🔹 1949 में हुई थी स्थापना
सशस्त्र सेना झंडा दिवस की शुरुआत 7 दिसंबर 1949 को हुई थी। स्वतंत्रता के बाद भारत सरकार ने महसूस किया कि देश की सुरक्षा में लगे सैनिकों और युद्ध में घायल हुए जवानों की देखभाल के लिए एक स्थायी कल्याण कोष की आवश्यकता है। इसी उद्देश्य से यह निर्णय लिया गया कि एक ऐसा दिन तय किया जाए जब नागरिक सैन्यकर्मियों के योगदान के प्रति सम्मान व्यक्त करते हुए स्वेच्छा से दान दें।
🔹 किसने की थी शुरुआत?
यह निर्णय भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत बनी एक समिति ने लिया था, जिसका उद्देश्य था:
- ड्यूटी के दौरान घायल हुए सैनिकों की सहायता,
- शहीद सैनिकों के परिवारों का पुनर्वास,
- सेवानिवृत्त सैनिकों और पूर्व सैनिकों के कल्याण के लिए धन जुटाना।
हालाँकि किसी एक व्यक्ति को इसका प्रत्यक्ष “संस्थापक” नहीं माना जाता, पर इसका ढांचा रक्षा मंत्रालय और पूर्व सैनिक कल्याण विभाग द्वारा तैयार किया गया था। बाद में धन संग्रह और प्रबंधन की ज़िम्मेदारी Kendriya Sainik Board (KSB) को सौंपी गई, जो आज भी इस कार्य को आगे बढ़ा रहा है।
⭐ झंडा दिवस क्यों मनाया जाता है?
झंडा दिवस का मुख्य उद्देश्य आम जनता को भारत के सैनिकों के त्याग, साहस और देशभक्ति के प्रति जागरूक करना है। इस दिन देशभर में लाल, गहरे नीले और हल्के नीले रंग का एक छोटा झंडा वितरित किया जाता है। ये तीनों रंग क्रमशः थल सेना, नौसेना, और वायुसेना का प्रतिनिधित्व करते हैं।
इस झंडे को खरीदकर नागरिक स्वेच्छा से दान करते हैं। यह धन सीधे सैनिकों के कल्याण कार्यों में उपयोग किया जाता है।
⭐ इस दिन दान किया गया धन कहां उपयोग होता है?
सशस्त्र सेना झंडा दिवस पर एकत्र धन को विभिन्न कल्याण योजनाओं में खर्च किया जाता है, जैसे—
- युद्ध में घायल सैनिकों के पुनर्वास पर
- शहीदों के परिवारों की आर्थिक सहायता
- पूर्व सैनिकों के लिए स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार योजनाएँ
- विकलांग सैनिकों के लिए विशेष पुनर्वास कार्यक्रम
- वृद्ध सैनिकों की देखभाल और आवास व्यवस्था
इस कोष का प्रबंधन KSB, राज्य सैनिक बोर्ड और जिला सैनिक कार्यालयों द्वारा किया जाता है।
⭐ सशस्त्र सेना झंडा दिवस 2025 — क्या होगा खास?
साल 2025 में झंडा दिवस पर कई नई पहल और डिजिटल अभियानों के शामिल होने की संभावना है। कई राज्यों ने ऑनलाइन दान प्लेटफॉर्म शुरू किए हैं, जिससे लोग घर बैठे सैनिकों के कल्याण में योगदान दे सकते हैं।
स्कूलों, कॉलेजों, सरकारी दफ्तरों और निजी संगठनों में भी जागरूकता अभियान चलाए जाते हैं। देश भर में विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम और रैलियाँ आयोजित हो सकती हैं जिनमें सैनिकों का सम्मान किया जाएगा।
⭐ भारतीय समाज में इस दिन की प्रासंगिकता
सशस्त्र सेना झंडा दिवस केवल एक समारोह नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय कर्तव्य जैसा दिन है। यह हमें याद दिलाता है कि:
- सीमा पर तैनात जवान दिन-रात हमारी सुरक्षा में लगे होते हैं,
- कई सैनिक अपनी जान गंवा देते हैं ताकि देश सुरक्षित रहे,
- उनके परिवार भी इस त्याग में भागीदार होते हैं।
इसलिए समाज का यह दायित्व बनता है कि सैनिकों और उनके परिवारों की मदद और सम्मान में आगे आए।
⭐ झंडा दिवस से जुड़ी प्रमुख बातें
- पहली बार मनाया गया: 7 दिसंबर 1949
- कौन आयोजित करता है: भारत सरकार का रक्षा मंत्रालय, विशेष रूप से Kendriya Sainik Board
- धन का प्रमुख उपयोग: शहीदों के परिवार, घायल सैनिक, पूर्व सैनिक कल्याण
- झंडे के तीन रंग: थल सेना (लाल), नौसेना (गहरा नीला), वायुसेना (हल्का नीला)
⭐ नागरिक इस दिन कैसे योगदान दे सकते हैं?
- झंडा खरीदकर स्वेच्छा से दान करें
- ऑनलाइन पोर्टल के जरिए योगदान दें
- सैनिक कल्याण योजनाओं के बारे में दूसरों को जागरूक करें
- शहीद परिवारों के लिए आयोजित कार्यक्रमों में भाग लें
- स्कूल-कॉलेजों में विद्यार्थियों को सैनिकों के त्याग के बारे में बताएं
⭐ समापन
सशस्त्र सेना झंडा दिवस 2025 हमें उन बहादुर जवानों के प्रति अपने सम्मान को प्रकट करने का अवसर देता है, जिन्होंने देश की सुरक्षा के लिए सब कुछ न्योछावर कर दिया। राष्ट्र की सुरक्षा और शांति सुनिश्चित करने वाले सैनिकों के लिए यह दिन उनके समर्पण को सलाम करता है।
हर भारतीय नागरिक को इस दिवस पर अपनी क्षमता अनुसार योगदान देना चाहिए ताकि सैनिकों और उनके परिवारों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाया जा सके।