अरावली पर्वतमाला: सुप्रीम कोर्ट फैसला, महत्व व विवाद

अरावली पर्वतमाला : भारत की जीवनरेखा, पर्यावरणीय ढाल और सुप्रीम कोर्ट का हालिया विवाद (पूर्ण विश्लेषण)


भूमिका – अरावली आज राष्ट्रीय मुद्दा क्यों है?

अरावली पर्वतमाला आज केवल एक भौगोलिक संरचना नहीं रह गई है, बल्कि यह भारत में पर्यावरण संरक्षण, जल संकट, शहरीकरण, कानून और राजनीति से जुड़ा एक बड़ा राष्ट्रीय विषय बन चुकी है। हाल ही में Supreme Court of India द्वारा दिए गए एक महत्वपूर्ण निर्णय के बाद अरावली को लेकर पूरे देश में बहस तेज हो गई है। इस फैसले के बाद “Save Aravalli” जैसे अभियान सामने आए, पर्यावरणविदों ने चिंता जताई और आम लोग नाराज़ दिखाई दिए। इसका कारण यह है कि अरावली का सीधा संबंध उत्तर भारत की हवा, पानी, खेती, जैव विविधता और जलवायु संतुलन से है।


अरावली पर्वतमाला क्या है? (परिभाषा और पहचान)

अरावली पर्वतमाला भारत की सबसे प्राचीन पर्वत श्रृंखला मानी जाती है। भूवैज्ञानिक अध्ययनों के अनुसार इसकी उत्पत्ति Precambrian काल में हुई थी और इसकी आयु लगभग 1.8 से 2.5 अरब वर्ष के बीच आँकी जाती है। यह तथ्य इसे हिमालय जैसी युवा पर्वत प्रणालियों से पूरी तरह अलग बनाता है। अत्यधिक पुरानी होने के कारण अरावली समय के साथ लगातार क्षरण (erosion) का शिकार होती रही है, जिससे इसकी ऊँचाई कम हो गई और आज यह कई स्थानों पर छोटी-छोटी, टूटी हुई पहाड़ियों के रूप में दिखाई देती है।

Important Point:
👉 अरावली की पहचान उसकी ऊँचाई से नहीं, बल्कि उसकी भू-पर्यावरणीय भूमिका से होती है।


अरावली कहाँ से कहाँ तक फैली है? (भौगोलिक विस्तार)

अरावली पर्वतमाला दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पूर्व दिशा में फैली हुई है। इसका विस्तार Gujarat के पलनपुर क्षेत्र से शुरू होकर Rajasthan, Haryana और अंत में Delhi तक जाता है। इसकी कुल लंबाई लगभग 650 से 800 किलोमीटर मानी जाती है।

Important Points:

  • अरावली का सबसे बड़ा हिस्सा राजस्थान में स्थित है
  • दिल्ली में इसका उत्तरी विस्तार Delhi Ridge कहलाता है
  • हरियाणा में अरावली सबसे अधिक क्षतिग्रस्त है

राज्यवार अरावली का विस्तार

राजस्थान में अरावली

राजस्थान में अरावली पर्वतमाला सबसे अधिक चौड़ी और स्पष्ट रूप में दिखाई देती है। उदयपुर, सिरोही, अजमेर, अलवर और जयपुर जैसे जिले अरावली से प्रभावित हैं। यहीं अरावली की सबसे ऊँची चोटी गुरु शिखर (माउंट आबू – 1722 मीटर) स्थित है।

हरियाणा में अरावली

हरियाणा में अरावली गुरुग्राम, फरीदाबाद और नूंह (मेवात) क्षेत्रों में फैली हुई है। यहाँ अवैध खनन और शहरीकरण के कारण अरावली को सबसे अधिक नुकसान पहुँचा है।

दिल्ली में अरावली

दिल्ली में अरावली का विस्तार Delhi Ridge के रूप में है, जिसे उत्तर रिज, मध्य रिज और दक्षिण रिज में बाँटा गया है। यह क्षेत्र दिल्ली की हवा और जलवायु के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।


अरावली का जलवायु और पर्यावरणीय महत्व

अरावली को भारत की “Great Green Wall” कहा जाता है। यह पर्वतमाला थार रेगिस्तान को पूर्व की ओर फैलने से रोकती है। यदि अरावली कमजोर होती है, तो पश्चिमी राजस्थान की रेत हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और दिल्ली तक पहुँच सकती है। इसके अलावा, अरावली पश्चिमी धूल भरी हवाओं को रोककर दिल्ली-NCR में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने में भी मदद करती है।

Important Points:

  • अरावली रेगिस्तान को फैलने से रोकती है
  • दिल्ली-NCR में प्रदूषण नियंत्रण में सहायक
  • तापमान संतुलन बनाए रखती है

अरावली और जल संसाधन

अरावली पर्वतमाला जल संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह कई नदियों की जलधारा को नियंत्रित करती है, जिनमें लूनी, बनास, साबरमती और साहिबी प्रमुख हैं। अरावली की चट्टानें वर्षा जल को रोककर धीरे-धीरे जमीन में रिसने देती हैं, जिससे groundwater recharge होता है। यही कारण है कि अरावली क्षेत्र में ऐतिहासिक रूप से बावड़ियाँ, जोहड़ और तालाब जैसी पारंपरिक जल संरचनाएँ विकसित हुईं।


जैव विविधता और मानव जीवन

अरावली एक semi-arid biodiversity hotspot है। यहाँ तेंदुआ, नीलगाय, सियार, लकड़बग्घा जैसे वन्य जीव पाए जाते हैं। इसके साथ ही यह भील और मीणा जैसे आदिवासी समुदायों की आजीविका और संस्कृति का आधार रही है।


अरावली पर प्रमुख खतरे

अरावली पर सबसे बड़ा खतरा अवैध खनन है। इसके अलावा अनियंत्रित शहरीकरण, फार्महाउस संस्कृति, रियल एस्टेट परियोजनाएँ और वन कटाई ने भी इसे भारी नुकसान पहुँचाया है। इन गतिविधियों के कारण मिट्टी का कटाव बढ़ा, जल स्रोत सूखने लगे और स्थानीय जलवायु असंतुलित हो गई।


अरावली और कानूनी पृष्ठभूमि

1980 के दशक से अरावली को लेकर कई जनहित याचिकाएँ दायर होती रही हैं। सुप्रीम कोर्ट ने विभिन्न मामलों में खनन पर रोक और पर्यावरण संरक्षण के निर्देश दिए, लेकिन एक बड़ी समस्या यह रही कि अरावली की कोई स्पष्ट और एक समान कानूनी परिभाषा नहीं थी। इसी अस्पष्टता के कारण अलग-अलग राज्यों में अलग नियम लागू होते रहे।


सुप्रीम कोर्ट का हालिया निर्णय और विवाद

हालिया निर्णय में सुप्रीम कोर्ट ने अरावली की नई कानूनी परिभाषा तय की। इसके अनुसार वही भू-भाग अरावली पहाड़ी माना जाएगा जो अपने आसपास की जमीन से कम से कम 100 मीटर ऊँचा हो और 500 मीटर के भीतर समान भू-आकृति से जुड़ा हो। कोर्ट का उद्देश्य कानूनी स्पष्टता लाना था, लेकिन पर्यावरणविदों का मानना है कि इससे अरावली की कई छोटी लेकिन महत्वपूर्ण पहाड़ियाँ कानूनी सुरक्षा से बाहर हो सकती हैं।


Save Aravalli आंदोलन

इस फैसले के बाद राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली-NCR में Save Aravalli आंदोलन तेज हुआ। लोगों का कहना है कि अरावली सिर्फ पहाड़ नहीं, बल्कि जीवनरेखा है। सरकार का पक्ष है कि 90% से अधिक अरावली अब भी सुरक्षित है और यह फैसला खनन को बढ़ावा देने के लिए नहीं है।


भविष्य पर संभावित प्रभाव

यदि अरावली का संरक्षण कमजोर पड़ा, तो इसके दीर्घकालिक परिणाम गंभीर हो सकते हैं। इनमें जल संकट, तापमान वृद्धि, रेगिस्तान का विस्तार और जैव विविधता का नुकसान शामिल है।


🟡 IMPORTANT FACTS – HIGHLIGHTED (Exam Ready)

  • अरावली पर्वतमाला की आयु लगभग 1.8–2.5 अरब वर्ष है
  • अरावली भारत की सबसे पुरानी पर्वत श्रृंखला है
  • अरावली की सबसे ऊँची चोटी गुरु शिखर (Mount Abu) है – 1722 मीटर
  • अरावली का सबसे बड़ा भाग राजस्थान में स्थित है
  • Delhi Ridge, अरावली का उत्तरी विस्तार है
  • अरावली थार रेगिस्तान के फैलाव को रोकती है
  • अरावली को “Great Green Wall of India” कहा जाता है
  • अरावली groundwater recharge में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है
  • लूनी, बनास, साबरमती नदियाँ अरावली से जुड़ी हैं
  • अरावली क्षेत्र semi-arid biodiversity hotspot है
  • Illegal mining अरावली के विनाश का सबसे बड़ा कारण है
  • 1980s से अरावली पर पर्यावरणीय मुकदमे चल रहे हैं
  • हालिया सुप्रीम कोर्ट निर्णय ने अरावली की नई कानूनी परिभाषा तय की
  • नई परिभाषा में 100 मीटर ऊँचाई का मानदंड शामिल है
  • Save Aravalli आंदोलन इसी फैसले के बाद तेज हुआ

Q&A – परीक्षा और करंट अफेयर्स के लिए

Q1. अरावली पर्वतमाला को “Great Green Wall of India” क्यों कहा जाता है?
उत्तर: क्योंकि यह थार रेगिस्तान को पूर्व की ओर फैलने से रोकती है।

Q2. अरावली की सबसे ऊँची चोटी कौन-सी है?
उत्तर: गुरु शिखर (माउंट आबू – 1722 मीटर)

Q3. हालिया सुप्रीम कोर्ट विवाद का मुख्य कारण क्या है?
उत्तर: अरावली की नई कानूनी परिभाषा और 100 मीटर ऊँचाई का मानदंड।

Q4. अरावली का दिल्ली-NCR के लिए क्या महत्व है?
उत्तर: वायु प्रदूषण नियंत्रण और groundwater recharge।


निष्कर्ष

अरावली पर्वतमाला केवल पहाड़ों की श्रृंखला नहीं, बल्कि उत्तर भारत की जलवायु, जल सुरक्षा और पर्यावरणीय संतुलन की रीढ़ है। सुप्रीम कोर्ट का फैसला कानूनी स्पष्टता लाता है, लेकिन असली परीक्षा इसके ज़मीनी क्रियान्वयन की होगी। अरावली को बचाना पर्यावरण नहीं, बल्कि भविष्य को बचाना है।

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