अंतरराष्ट्रीय पर्वत दिवस 11 दिसंबर: इतिहास, महत्व और तथ्य

अंतरराष्ट्रीय पर्वत दिवस 11 दिसंबर — महत्व, इतिहास, स्थापना और रोचक तथ्य

परिचय: अंतरराष्ट्रीय पर्वत दिवस क्या है?

अंतरराष्ट्रीय पर्वत दिवस हर वर्ष 11 दिसंबर को मनाया जाता है। यह दिवस वैश्विक स्तर पर पर्वतों के सामाजिक, पर्यावरणीय, आर्थिक और सांस्कृतिक महत्व को समझाने तथा सतत पर्वतीय विकास (Sustainable Mountain Development) के प्रति जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से मनाया जाता है। पर्वत पृथ्वी की जीवन-रेखा हैं — वे न केवल जलवायु को नियंत्रित करते हैं, बल्कि ताज़े पानी, विविध वन्यजीवों, औषधीय पौधों, तथा अनेकों समुदायों की आजीविका का प्रमुख आधार भी हैं। इसी महत्व को पहचान दिलाने के लिए यह दिन वैश्विक कैलेंडर में शामिल किया गया।

अंतरराष्ट्रीय पर्वत दिवस की शुरुआत — किसने और कब की?

अंतरराष्ट्रीय पर्वत दिवस की नींव संयुक्त राष्ट्र (United Nations) ने रखी। वर्ष 2002 को “International Year of Mountains” घोषित किया गया था। इस वर्ष के दौरान दुनिया भर में पर्वतीय पर्यावरण, जल स्रोतों और पर्वतीय समुदायों के जीवन पर कई महत्वपूर्ण अध्ययन और कार्यक्रम हुए। इस वर्ष की सफलता और बढ़ती जागरूकता को देखते हुए, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 20 दिसंबर 2002 को संकल्प A/RES/57/245 पारित किया।

इस संकल्प में यह घोषणा की गई कि हर वर्ष 11 दिसंबर को “International Mountain Day” यानी अंतरराष्ट्रीय पर्वत दिवस मनाया जाएगा। इस घोषणा को औपचारिक रूप से 2003 से लागू किया गया और तब से यह दिवस निरंतर मनाया जा रहा है। इस वैश्विक पहल का उद्देश्य पर्वतों को विकास नीतियों में उचित स्थान दिलाना, पर्वतीय समुदायों के अधिकारों को मजबूत करना और जलवायु परिवर्तन के प्रति पर्वतों की संवेदनशीलता पर ध्यान केंद्रित करना है।

पर्वतों का वैश्विक महत्व — डेटा और तथ्य

पर्वत सिर्फ ऊँचाई या सौंदर्य का प्रतीक नहीं हैं, बल्कि वे धरती के संतुलन का एक वैज्ञानिक आधार हैं। यहाँ पर्वतों से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्य दिए गए हैं:

  1. धरती का 27% भू-भाग पर्वत हैं
    दुनिया की लगभग एक-चौथाई से अधिक भूमि पर्वतीय क्षेत्रों से मिलकर बनी है। यह क्षेत्र न केवल जैव विविधता से भरपूर है, बल्कि हजारों विशिष्ट प्रजातियों का घर भी है।
  2. विश्व की 15% आबादी पर्वतीय क्षेत्रों में रहती है
    लगभग 1.1 अरब से अधिक लोग सीधे तौर पर पर्वतीय क्षेत्रों में निवास करते हैं, जबकि करोड़ों लोग नीचे के इलाकों में रहकर भी पर्वतों से मिलने वाले जल और संसाधनों पर निर्भर हैं।
  3. पर्वत दुनिया के सबसे बड़े जल-टावर हैं
    धरती का 70% से अधिक ताजा पानी पहाड़ों में मौजूद हिमनदों, ग्लेशियरों और बर्फीले स्रोतों से आता है। एशिया, यूरोप और दक्षिण अमेरिका की कई प्रमुख नदियाँ—जैसे गंगा, सिंधु, ब्रह्मपुत्र, यांग्त्ज़ी, अमेज़न आदि—पर्वतीय क्षेत्रों से ही निकलती हैं।
  4. जलवायु परिवर्तन का सबसे तेज असर पर्वतों पर दिखता है
    तेजी से पिघलते ग्लेशियर, अस्थिर वर्षा पैटर्न और भूस्खलन की बढ़ती घटनाएँ पर्वतों को सबसे अधिक संवेदनशील क्षेत्रों में शामिल करती हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार, भविष्य में कई क्षेत्रों में ग्लेशियर 20–40% तक कम हो सकते हैं, जिससे जल संकट बढ़ने की संभावना है।
  5. पर्वतीय कृषि और आजीविका पर खतरा
    पहाड़ों में रहने वाले समुदाय खेती, वानिकी, पशुपालन और पर्यटन पर निर्भर होते हैं। मौसम में तीव्र बदलाव और संसाधनों की कमी इनके जीवन को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करती है।

अंतरराष्ट्रीय पर्वत दिवस का उद्देश्य

इस दिवस को मनाने के कई प्रमुख उद्देश्य हैं, जिनमें प्रमुख हैं:

  • पर्वतीय पारिस्थितिकी (Mountain Ecosystem) को संरक्षण देना
  • पर्वतीय संसाधनों के दोहन की समस्याओं पर वैश्विक जागरूकता फैलाना
  • पर्वतीय समुदायों के विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य और आजीविका को बढ़ावा देना
  • जलवायु परिवर्तन के खतरों के प्रति नीतियों को मजबूत करना
  • पर्यटन, पहाड़ी कृषि और प्राकृतिक संसाधनों के सतत प्रबंधन को प्रोत्साहित करना

हर वर्ष इस दिवस का एक विशिष्ट विषय (Theme) भी घोषित किया जाता है, जो उस वर्ष की प्राथमिक चुनौतियों और पर्यावरणीय फोकस को दर्शाता है। यह थीम दुनिया भर के शिक्षण संस्थानों, पर्यावरण संगठनों और सरकारों द्वारा आयोजित कार्यक्रमों में उपयोग किया जाता है।

पर्वत क्यों महत्वपूर्ण हैं? — गहन दृष्टिकोण

पर्वत जलवायु को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे हवा को शुद्ध रखते हैं, वर्षा चक्र को संतुलित करते हैं और पृथ्वी पर जीवन के लिए आवश्यक खनिज व वनस्पतियों का विकास करते हैं। हिमालय जैसे पर्वत-तंत्र न केवल भारत बल्कि पूरे दक्षिण एशिया के मौसम को नियंत्रित करते हैं। गर्मी में बनने वाला निम्न-दबाव और मानसून की दिशा सीधे तौर पर पहाड़ों की संरचना और ऊँचाई से प्रभावित होती है।

पर्वतों में मिलने वाली औषधीय वनस्पतियाँ दुनिया की कई आधुनिक दवाओं का आधार हैं। आयुर्वेद और यूनानी चिकित्सा में उपयोग होने वाली कई जड़ी-बूटियाँ केवल ऊँचाई वाले क्षेत्रों में पाई जाती हैं। वैश्विक तापमान वृद्धि के कारण इन वनस्पतियों की संख्या तेजी से घट रही है।

अंतरराष्ट्रीय पर्वत दिवस क्यों मनाना चाहिए?

इस दिवस को मनाना मात्र एक औपचारिकता नहीं है। यह हम सभी को याद दिलाता है कि यदि पर्वत सुरक्षित रहेंगे तो ही धरती का संतुलन बना रहेगा। यह दिन हमें निम्न विचारों और कार्यों की प्रेरणा देता है:

  • प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण
  • प्लास्टिक एवं प्रदूषण कम करना
  • स्थानीय वनस्पति और पौधों को संरक्षित करना
  • पर्वतीय पर्यटन में जिम्मेदार व्यवहार अपनाना
  • पर्वतीय समुदायों के पारंपरिक ज्ञान का सम्मान करना

निष्कर्ष

अंतरराष्ट्रीय पर्वत दिवस 11 दिसंबर पूरी दुनिया के लिए एक महत्वपूर्ण चेतावनी और संदेश है कि पर्वतों की रक्षा करना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है। यह दिवस हमें याद दिलाता है कि पर्वत सिर्फ भौगोलिक संरचनाएँ नहीं, बल्कि पृथ्वी के अस्तित्व के स्तंभ हैं। यदि हम आज पर्वतों की सुरक्षा और सतत विकास पर ध्यान देंगे, तभी आने वाली पीढ़ियाँ स्वस्थ पर्यावरण और पर्याप्त जल स्रोतों के साथ जीवन जी पाएंगी।

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