द्वितीय WHO ग्लोबल समिट ऑन ट्रेडिशनल मेडिसिन (2025) – विस्तृत जानकारी
परिचय
द्वितीय WHO ग्लोबल समिट ऑन ट्रेडिशनल मेडिसिन 17 से 19 दिसंबर 2025 तक भारत की राजधानी नई दिल्ली के भारत मंडपम में आयोजित किया जाएगा। यह आयोजन विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और भारत सरकार के AYUSH मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से हो रहा है। यह सम्मेलन पारंपरिक चिकित्सा को वैज्ञानिक शोध, वैश्विक मानकों और आधुनिक स्वास्थ्य प्रणाली में समावेशित करने की दिशा में एक अत्यंत महत्वपूर्ण वैश्विक कदम है।
इस समिट की मुख्य थीम है:
“Restoring Balance: The Science and Practice of Health and Well-being”
अर्थात स्वास्थ्य और कल्याण के विज्ञान एवं अभ्यास के माध्यम से संतुलन की बहाली।
पारंपरिक चिकित्सा का इतिहास और विकास
पारंपरिक चिकित्सा क्या है?
पारंपरिक चिकित्सा (Traditional Medicine) उन पद्धतियों, ज्ञान और उपचारों का संग्रह है जो सदियों से संस्कृति, परंपरा और अनुभवों के आधार पर विकसित हुए हैं। इनमें आयुर्वेद, यूनानी, सिद्ध, तिब्बती चिकित्सा, हर्बल मेडिसिन, प्राकृतिक उपचार, योग और अन्य क्षेत्रीय औषधीय पद्धतियाँ शामिल हैं।
WHO के अनुसार, दुनिया के 88% से अधिक देश आज भी किसी न किसी रूप में पारंपरिक चिकित्सा का उपयोग कर रहे हैं। यह इसे एक महत्वपूर्ण वैश्विक स्वास्थ्य स्तंभ बनाता है।
WHO और पारंपरिक चिकित्सा – वैश्विक भूमिका
WHO की रणनीतिक पहल
WHO ने पारंपरिक चिकित्सा को वैज्ञानिक रूप से मजबूत बनाने, उसकी सुरक्षा सुनिश्चित करने और उसे आधुनिक स्वास्थ्य प्रणाली में इंटीग्रेट करने के लिए Global Traditional Medicine Strategy 2025–2034 तैयार की है।
इसका उद्देश्य है:
- पारंपरिक चिकित्सा का वैज्ञानिक शोध
- सुरक्षा और गुणवत्ता मानक
- डिजिटल और डेटा आधारित निगरानी
- स्वास्थ्य प्रणाली में संतुलित एकीकरण
- वैश्विक सहयोग और नीतिगत समर्थन
पहला WHO ग्लोबल समिट (2023) – कहाँ और क्यों हुआ?
सम्मेलन की शुरुआत
पारंपरिक चिकित्सा पर पहला WHO ग्लोबल समिट 2023 में भारत के गुजरात राज्य में आयोजित किया गया था। यह WHO का इस क्षेत्र में पहला अंतरराष्ट्रीय मंच था।
इस समिट में “Gujarat Declaration” जारी किया गया, जिसका उद्देश्य था—
- पारंपरिक चिकित्सा के उपयोग को सुरक्षित और साक्ष्य-आधारित बनाना
- आधुनिक स्वास्थ्य प्रणाली के साथ इसका वैज्ञानिक एकीकरण
- नए शोध, निवेश और ग्लोबल सहयोग को बढ़ाना
2023 के सफल आयोजन के बाद WHO ने इसे नियमित वैश्विक श्रृंखला के रूप में रूपांतरित किया, जिसका दूसरा संस्करण 2025 में भारत में हो रहा है।
दूसरा WHO समिट (2025) – तारीख, स्थान और मुख्य बिंदु
महत्वपूर्ण तथ्य
- तारीख: 17–19 दिसंबर 2025
- स्थान: भारत मंडपम, प्रगति मैदान, नई दिल्ली
- आयोजक: WHO + भारत सरकार (AYUSH मंत्रालय)
- भागीदार: 100+ देश, मंत्री, वैज्ञानिक, शोध संस्थान, पारंपरिक चिकित्सा विशेषज्ञ
यह भारत के लिए वैश्विक स्वास्थ्य नेतृत्व में एक बड़ा सम्मान माना जा रहा है।
सम्मेलन की मुख्य थीम और उद्देश्य
थीम: Restoring Balance
सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य पारंपरिक औषधियों और स्वास्थ्य प्रथाओं में निहित वैज्ञानिक क्षमता को वैश्विक स्वास्थ्य प्रणाली में शामिल करना है।
इसमें निम्न बिंदुओं पर विशेष फोकस रहेगा:
- पारंपरिक उपचारों के वैज्ञानिक प्रमाण
- आधुनिक स्वास्थ्य प्रणाली के साथ एकीकरण
- तकनीक, AI और डेटा का उपयोग
- मानक, गुणवत्ता और सुरक्षा
- वैश्विक नीतिगत सहयोग
तीन-दिवसीय सम्मेलन का विस्तृत कार्यक्रम
पहला दिन – उद्घाटन + वैश्विक दृष्टि
- उद्घाटन समारोह
- पारंपरिक चिकित्सा की वैश्विक स्थिति पर प्रमुख वक्तव्य
- “Restoring Balance” विषय पर प्लेनरी सत्र
- पारंपरिक चिकित्सा के उपयोग, पहुंच और चुनौतियों पर चर्चा
दूसरा दिन – विज्ञान, शोध और तकनीक
- पारंपरिक औषधियों के वैज्ञानिक मूल्यांकन प्रोजेक्ट
- डिजिटल इनोवेशन, AI और डेटा-ड्रिवन रिसर्च
- वैश्विक स्वास्थ्य सिस्टम में पारंपरिक चिकित्सा के समावेशन पर पैनल
तीसरा दिन – मंत्रीस्तरीय वार्ता और भविष्य की योजना
- ग्लोबल नीति-निर्माताओं की बैठक
- शोध निवेश, सहयोग और सरकारी प्रतिबद्धताएँ
- समापन सत्र और भविष्य की कार्ययोजना का घोषणा पत्र
भारत का योगदान और नेतृत्व
भारत क्यों है केंद्र में?
भारत सदियों से पारंपरिक चिकित्सा का वैश्विक अग्रणी केंद्र रहा है—विशेषकर आयुर्वेद, योग और नैचुरोपैथी।
भारत में WHO के साथ कई महत्वपूर्ण पहलें चल रही हैं:
1. AYUSH मंत्रालय और WHO का MoU
स्वास्थ्य हस्तक्षेपों के अंतरराष्ट्रीय वर्गीकरण (ICHI) में भारतीय पारंपरिक चिकित्सा को शामिल करने के लिए समझौता।
2. Traditional Knowledge Digital Library (TKDL)
भारत का पारंपरिक ज्ञान दुनिया भर में संरक्षित और डिजिटल स्वरूप में उपलब्ध है।
3. वैज्ञानिक शोध – अश्वगंधा पर विशेष सत्र
सम्मेलन में अश्वगंधा पर एक समर्पित वैश्विक सत्र होगा, जिसमें विश्वभर के वैज्ञानिक भाग लेंगे।
भारत AI, जैव-सूचना तकनीक और आधुनिक शोध विधियों से पारंपरिक चिकित्सा को विश्व मंच पर नए स्वरूप में पेश कर रहा है।
वैश्विक स्वास्थ्य के लिए समिट का महत्व
यह सम्मेलन क्यों महत्वपूर्ण है?
- दुनिया में पारंपरिक चिकित्सा का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है
- शोध, सुरक्षा और मानकीकरण की आवश्यकता अत्यंत महत्वपूर्ण है
- आधुनिक चिकित्सा के साथ समन्वित मॉडल तैयार करना
- वैश्विक स्तर पर स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच बढ़ाना
- प्राकृतिक और समग्र स्वास्थ्य दृष्टि को मजबूत करना
WHO का लक्ष्य है कि 2034 तक पारंपरिक चिकित्सा वैज्ञानिक, सुरक्षित, मानक-आधारित और स्वास्थ्य प्रणालियों का अभिन्न हिस्सा बन जाए।
निष्कर्ष
द्वितीय WHO ग्लोबल समिट ऑन ट्रेडिशनल मेडिसिन 2025 एक ऐतिहासिक अवसर है जहाँ ज्ञान, विज्ञान, परंपरा और आधुनिक स्वास्थ्य तकनीक एक साथ आएंगे।
भारत इस सम्मेलन की मेजबानी कर दुनिया को यह संदेश दे रहा है कि भविष्य का स्वास्थ्य तंत्र केवल आधुनिक तकनीक पर नहीं, बल्कि वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित पारंपरिक चिकित्सा और समग्र स्वास्थ्य दर्शन पर आधारित होगा।
यह सम्मेलन आने वाले वर्षों में वैश्विक स्वास्थ्य नीतियों, शोध और चिकित्सा प्रथाओं को नए रूप में स्थापित करेगा।