नौसेना दिवस 4 दिसंबरऔर भारतीय नौसेना का इतिहास (विस्तृत आलेख)
भारत में हर वर्ष 4 दिसंबर को नौसेना दिवस मनाया जाता है। यह दिन भारतीय नौसेना के शौर्य, साहस, बलिदान और समुद्री युद्ध कौशल को सम्मान देने के लिए समर्पित है। इस दिन हम न केवल भारतीय नौसेना की वीरता को स्मरण करते हैं, बल्कि उसके गौरवशाली इतिहास और राष्ट्र निर्माण में उसके योगदान को भी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। नौसेना दिवस का सबसे महत्वपूर्ण ऐतिहासिक आधार वर्ष 1971 का भारत-पाक युद्ध है, जिसमें भारतीय नौसेना ने पाकिस्तान के विरुद्ध निर्णायक समुद्री कार्रवाई करते हुए ऐतिहासिक विजय प्राप्त की।
नौसेना दिवस के मनाए जाने का इतिहास
भारतीय नौसेना द्वारा नौसेना दिवस पहली बार 21 अक्टूबर 1944 को मनाया गया था। उस समय इसका उद्देश्य आम जनता को नौसेना की भूमिका, शक्ति और जिम्मेदारियों के प्रति जागरूक करना था। इस आयोजन के अंतर्गत भारत के विभिन्न बंदरगाह शहरों में परेड आयोजित की गईं और देश के आंतरिक क्षेत्रों में जनसभाएँ आयोजित की गईं, ताकि लोग नौसेना के महत्व को जान सकें।
इस पहली पहल को जनता से अत्यंत सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली और लोगों में नौसेना के प्रति गौरव और उत्साह देखा गया। इस सफलता को देखते हुए यह निर्णय लिया गया कि नौसेना दिवस हर साल और अधिक भव्य रूप से मनाया जाएगा।
1945 में नौसेना दिवस 1 दिसंबर को बॉम्बे और कराची में मनाया गया। इसके बाद आने वाले वर्षों में इसमें निरंतर बदलाव होते रहे। कुछ समय तक यह 15 दिसंबर को मनाया जाने लगा और जिस सप्ताह 15 दिसंबर पड़ता था, उसे नौसेना सप्ताह के रूप में मनाया जाता था।
फिर मई 1972 में वरिष्ठ नौसैनिक अधिकारियों के सम्मेलन में यह ऐतिहासिक निर्णय लिया गया कि नौसेना दिवस अब हर वर्ष 4 दिसंबर को मनाया जाएगा। इसके पीछे मुख्य कारण था 1971 के भारत-पाक युद्ध में भारतीय नौसेना की अभूतपूर्व सफलता। इसके साथ ही 1 से 7 दिसंबर तक के सप्ताह को आधिकारिक रूप से नौसेना सप्ताह घोषित किया गया।
1971 युद्ध और ऑपरेशन ट्राइडेंट
4 दिसंबर 1971 की रात भारतीय नौसेना ने ऑपरेशन ट्राइडेंट के तहत पाकिस्तान के कराची बंदरगाह पर भयानक और निर्णायक हमला किया। इस हमले में पाकिस्तान के कई युद्धपोत, तेल भंडार और सैन्य ठिकाने नष्ट कर दिए गए। इससे दुश्मन की नौसैनिक शक्ति लगभग समाप्त हो गई और समुद्र में भारत का पूर्ण वर्चस्व स्थापित हो गया।
यह हमला आधुनिक भारत के सैन्य इतिहास में एक महत्वपूर्ण समुद्री विजय के रूप में दर्ज किया गया। इसी ऐतिहासिक जीत की स्मृति में 4 दिसंबर को नौसेना दिवस मनाया जाता है।
भारतीय नौसेना का इतिहास (1612 से आधुनिक युग तक)
प्रारंभिक काल
भारतीय नौसेना का इतिहास 1612 में शुरू होता है, जब कैप्टन बेस्ट ने पुर्तगालियों को समुद्री युद्ध में हराया। इसके बाद ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी को अपने व्यापारिक जहाज़ों की सुरक्षा की आवश्यकता महसूस हुई।
गुजरात के सूरत के पास स्वाली नामक स्थान पर एक छोटा नौसैनिक बेड़ा स्थापित किया गया।
5 सितंबर 1612 को पहला लड़ाकू बेड़ा पहुँचा, जिसे “ईस्ट इंडिया कंपनी की मरीन” के नाम से जाना गया।
बॉम्बे मरीन और विस्तार
1662 में बॉम्बे अंग्रेजों के अधीन आया और 1668 में इसे ईस्ट इंडिया कंपनी को सौंप दिया गया। इसके बाद नौसैनिक मुख्यालय बॉम्बे बन गया।
1686 में इसका नाम बदलकर बॉम्बे मरीन कर दिया गया। इस बल ने न केवल पुर्तगाली और डच शक्तियों से लड़ाई लड़ी, बल्कि समुद्री डाकुओं, मराठों और सिद्दियों से भी युद्ध किया।
1824 में यह बर्मा युद्ध में भी शामिल हुआ और ब्रिटिश साम्राज्य के लिए महत्वपूर्ण नौसैनिक शक्ति बना।
नाम परिवर्तन और आधुनिकता
यह बल समय के साथ विभिन्न नामों से जाना गया:
- 1830: हर मेजेस्टीज़ इंडियन नेवी
- 1863–1877: बॉम्बे मरीन
- 1877: हर मेजेस्टीज़ इंडियन मरीन
- 1892: रॉयल इंडियन मरीन
- 1934: रॉयल इंडियन नेवी
विश्व युद्धों में भूमिका
प्रथम विश्व युद्ध में नौसेना ने:
- माइनस्वीपिंग
- सैनिक परिवहन
- युद्ध आपूर्ति
जैसे कार्य किए।
द्वितीय विश्व युद्ध की शुरुआत में नौसेना के पास केवल 8 युद्धपोत थे, लेकिन युद्ध के अंत तक यह संख्या बढ़कर 117 युद्धपोत और 30,000 नौसैनिक हो गई।
स्वतंत्र भारत की नौसेना
1947 में स्वतंत्रता के समय भारत को सीमित संसाधनों वाली नौसेना प्राप्त हुई।
- 32 पुराने जहाज़
- 11,000 नौसैनिक
- वरिष्ठ पदों पर ब्रिटिश अधिकारी
26 जनवरी 1950 को भारत गणराज्य बना और “रॉयल” उपसर्ग हटा दिया गया।
भारतीयकरण और आत्मनिर्भरता
22 अप्रैल 1958 को वाइस एडमिरल आर.डी. कटारी पहले भारतीय नौसेना प्रमुख बने। उसके बाद भारतीयकरण और स्वदेशीकरण पर जोर दिया गया।
आज नौसेना मेक इन इंडिया कार्यक्रम के अंतर्गत स्वदेशी युद्धपोत, पनडुब्बी और मिसाइल सिस्टम बना रही है।
आधुनिक भारतीय नौसेना की भूमिका
आज भारतीय नौसेना:
- समुद्री सीमा की रक्षा
- आतंकवाद विरोध
- मानवीय सहायता और आपदा राहत
- अंतरराष्ट्रीय सहयोग
जैसे क्षेत्रों में कार्य कर रही है।
निष्कर्ष
भारतीय नौसेना केवल एक रक्षा बल नहीं, बल्कि भारत की समुद्री शक्ति, सम्मान और सुरक्षा की पहचान है। नौसेना दिवस हमें उन वीरों की याद दिलाता है जिन्होंने समुद्र के सीने पर इतिहास रचा।